कई बार आप लीक से हटकर, मेन स्ट्रीम से अलग काम करते हैं. आपको 'पैरलल' करार दे दिया जाता है. कभी-कभी आपका मन बैठने लगता है.लेकिन फिर वो सच्ची, और साहसी आवाज अपना असर दिखाती है. जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द क्विंट और क्विंट हिंदी के चार पत्रकारों को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए 2018 का रामनाथ गोयनका अवॉर्ड दे रहे थे तो उसे देखकर दिल में यही अहसास हो रहा था. ये भरोसा मिल रहा था कि आप सही काम करते हैं, आप सही दिशा में चलते हैं तो एक न एक दिन मंजिल नजर आने लगती है. ये अवॉर्ड और जिन विषयों पर रिपोर्टिंग के लिए ये अवॉर्ड दिए गए हैं, वो हमारे देश के इतिहास, मौजूदा समय और भविष्य के बारे में भी काफी कुछ कहते हैं. क्विंट हिंदी के पत्रकार शादाब मोइजी को हिंदी पत्रकारिता कैटेगरी का अवॉर्ड दिया गया. शादाब ने अपनी एक शॉर्ट डाक्यूमेंट्री में मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ितों की पीड़ा दिखाई गई.